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जमशेदपुर में 14 सितंबर को चम्पाई सोरेन के नेतृत्व में लगेगा ‘आदिवासी महा दरबार’

आदिवासी समाज के संवैधानिक अधिकारों पर मंथन के लिए समाज के बुद्धिजीवी "आदिवासी महा दरबार" में जुटेंगे

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जमशेदपुर। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की अगुवाई में आगामी 14 सितंबर को जमशेदपुर के एक्सएलआरआई ऑडिटोरियम में “आदिवासी महा दरबार” का आयोजन किया जायेगा।

एक सामाजिक संस्था “आदिवासी सांवता सुशार अखाड़ा” के बैनर तले आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य आदिवासी समाज की एकजुटता को मजबूत करना और उनके संवैधानिक अधिकारों, परंपराओं व सामाजिक सरोकारों पर विमर्श करना है। इस कार्यक्रम को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं और निमंत्रण पत्र वितरित किए जा चुके हैं।

इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए पूर्व सीएम चंपाई सोरेन ने बताया कि यह आयोजन आदिवासी समाज के अधिकारों से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित होगा। इसमें पेसा कानून, सीएनटी-एसपीटी एक्ट, भूमि अधिग्रहण, विस्थापन एवं आदिवासी सामाजिक संरचना जैसे अहम विषयों से जुड़े संवैधानिक अधिकारों पर गहन मंथन किया जायेगा।

“भारत में अंग्रेजों के खिलाफ पहला संघर्ष शुरू करने वाले बाबा तिलका मांझी, वीर सिदो-कान्हू, वीर पोटो हो, भगवान बिरसा मुंडा, वीर टाना भगत एवं वीर तेलंगा खड़िया जैसे अनगिनत आदिवासी योद्धाओं ने हमेशा जल, जंगल व जमीन की रक्षा के लिए संघर्ष किया है। इन संघर्षों के मद्देनजर हमें सीएनटी-एसपीटी एक्ट एवं पेसा अधिनियम जैसे कई अधिकार मिले हैं। लेकिन इसके बावजूद, हमारी जमीनें लूटी जा रही हैं। आज भी हमें इन्हीं मुद्दों पर संघर्ष करना पड़ रहा है।”

“झारखंड समेत अन्य राज्यों में आदिवासियों की घटती आबादी परिस्थिति की गंभीरता को दर्शाती है। इस सेमिनार में, हम लोग समाज के बुद्धिजीवियों एवं मार्गदर्शकों के साथ बैठ कर, इन मुद्दों पर चर्चा करेंगे, तथा समाज को जागरूक करने का प्रयास करेंगें।”

इस कार्यक्रम में कई प्रसिद्ध कानूनी विशेषज्ञ, सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के वकील, प्रोफेशनल्स, बुद्धिजीवी तथा आदिवासियों की पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था से जुड़े कई अगुआ (देश परगना, मांझी परगना, पाहन, मानकी मुंडा, पड़हा राजा, आदि) शामिल होंगे।

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