नालसा के लीगल सर्विसेज क्लीनिक, वीर परिवार सहायता योजना 2025 सह राष्ट्रीय लोक अदालत कार्यक्रम का उद्घाटन


जमशेदपुर : नालसा के मार्गदर्शन में झालसा और डालसा जमशेदपुर के संयुक्त तत्वावधान में लीगल सर्विसेज क्लिनिक के तहद वीर परिवार सहायता योजना 2025 सह राष्ट्रीय लोक अदालत समारोह का आयोजन जिला व्यवहार न्यायालय के डालसा भवन में भव्य रूप से आयोजित हुआ जिसका उद्घाटन झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और झालसा के मुख्य संरक्षक न्यायमूर्ति श्री तरलोक सिंह चौहान ने आभासी माध्यम से रांची से किया l न्यायमूर्ति चौहान ने सेना के जवानों के अदम्य साहस और उनकी वीरता की सराहना की l झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री सुजीत नारायण प्रसाद ने भी संबोधित किया और इन योजनाओं पर प्रकाश डाला l
जमशेदपुर में इस कार्यक्रम का उद्घाटन संचलन पूर्वी सिंहभूम के प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश श्री अरविंद कुमार पांडेय के निर्देश पर किया गया l इस अवसर पर जिला कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश श्री अजित कुमार सिंह, श्रम न्यायालय के न्यायाधीश , जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री रतीन दाश, जिला न्यायिक सेवा के अधिकारी, जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव श्री धर्मेंद्र कुमार के साथ भारी संख्या में अधिवक्ता और पक्षकार उपस्थित थे l
स्वागत डालसा के सचिव श्री धर्मेंद्र कुमार ने किया l
इस अवसर पर पूर्वी सिंहभूम के प्रधान जिला सत्र न्यायाधीश श्री अरविंद कुमार पांडेय ने कहा कि वीर परिवार सहायता योजना 2025 से उन परिवारों को मदद मिलेंगी जिनके परिवार के सदस्य ने देश के लिए अपने को शहीद कर दिया l
झारखंड स्टेट बार काउंसिल के वाइस चेयरमैन और वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुमार शुक्ल ने कहा कि झारखंड में झालसा और डालसा जमशेदपुर ने राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शानदार और सराहनीय मदद किया है, महिलाओं के मामले में भी सराहनीय कार्य किया है l लीगल सर्विसेज क्लीनिक के वीर परिवार सहायता योजना 2025 एक साहसिक और अनोखी पहल है जिसका वीर परिवारो को लाभ मिलेगा और उन्हें सम्मान के साथ खड़ा होने का अवसर मिलेगा श्रीशुक्ल ने नालसा, झालसा और डालसा को बधाई दी l स्वागत भाषण करते हुए डालसा के सचिव श्री धर्मेंद्र कुमार ने डालसा के द्वारा किए जा रहे कार्यों की व्याख्या की l
इस अवसर पर राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 11611 न्यायालय में लंबित मामलों का निस्पादन किया गया. बैंक से संबंधित मामलों का भी निपटारा किया गया और 15 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का निपटान हुआ.