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शब्दों का संगम : हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर संपर्क संस्थान के द्वारा साहित्य और स्वास्थ्य का अद्भुत मेल

संपर्क में बराबरी का दर्जा हैं और मुंशी प्रेमचंद की भाषा को संपर्क बढ़ा सकता हैं, जीवन में संतुलित दिनचर्या और साहित्यिक संवेदना दोनों आवश्यक

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जयपुर । शिक्षा,साहित्य और सामाजिक सरोकारों में निरंतर अग्रणी संपर्क साहित्य संस्थान ने हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर ‘शब्दों का संगम साहित्य और स्वास्थ्य के साथ’ शीर्षक से भव्य कार्यक्रम का आयोजन इटर्नल हॉस्पिटल सभागार, जवाहर सर्किल, जयपुर में किया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि विधायक गोपाल शर्मा, विशिष्ट अतिथि कवि लोकेश सिंह साहिल, राधा मोहन चतुर्वेदी,अध्यक्ष अनिल लढा,महासचिव समन्वयक रेनू शब्दमुखर ने डॉ. दीपाली वार्ष्णेय अग्रवाल की कृति “आईना-ए-अहसास” का विमोचन का किया।

अध्यक्ष अनिल लढा ने स्वागत करते हुए संपर्क संस्थान के वृहद कार्यों पर प्रकाश डाला।

मुख्य अतिथि विधायक गोपाल शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदी केवल भाषा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा है और संपर्क संस्थान को संपर्क को साधने वाला बताया।संस्थान की महासचिव रेनू ‘शब्दमुखर’ ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संपर्क साहित्य संस्थान सदैव साहित्य, शिक्षा और सामाजिक सरोकारों को जोड़ने के लिए संकल्पित है।

विशिष्ट अतिथि लोकेश कुमार साहिल ने कहा कि हिंदी की प्रगतिशीलता को बहने दें ,अतुकांत कविता में भी एक लय होती है उसे प्राणवान रखना है।विशिष्ट अतिथि राधामोहन चतुर्वेदी ने साहित्य और समाज की भूमिका पर प्रकाश डालते गीत सुना कर सभी को प्रभावित किया।

डॉ. प्रेम रतन देगावत (एस.एम.डी., जनरल मेडिसिन एवं डी.एम., कार्डियोलॉजी) ने स्वास्थ्य से जुड़े महत्वपूर्ण विचार साझा करते हुए जीवन में संतुलित दिनचर्या और साहित्यिक संवेदना दोनों को आवश्यक बताया।

शब्दों के संगम कार्यक्रम के अंतर्गत ही हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर अविनाश शर्मा, डॉ.आरती, भदोरिया,डॉ.लता सुरेश, सीमा वालिया, विजयलक्ष्मी सुशीला सैनी,डॉ कंचना, सुनीता त्रिपाठी, साकार श्रीवास्तव, डॉ.नवल किशोर दुबे,मंजु दुबे,जीनस कंवर, पवनेश्वरी, नीलम कालरा, कमलेश शर्मा,उषा नागिया, सुशीला सैनी,सपना औदिच्यमणिमाला ने अपनी कविताओं के द्वारा हिंदी के महत्व, सरसता, सरलता और गरिमा को उजागर किया। कार्यक्रम का सफल संचालन अक्षिणी भटनागर ने किया।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकार, चिकित्सक और समाजसेवी उपस्थित रहे।

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