सवर्ण महासंघ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष धनुर्धर त्रिपाठी ने किया झंडारोहण स्वतंत्रता दिवस की देश वासियों को दी बधाई



जमशेदपुर,सवर्ण महासंघ फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डी डी त्रिपाठी ने अपने आवासीय कार्यालय में झंडारोहण कर 79 वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं देश वासियों को दी।उक्त अवसर पर त्रिपाठी ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्र आज उन विसंगतियों से जूझ रहा हैं , जिसके खिलाफ स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना बलिदान दिया था।भय ,भूख , भ्रष्टाचार एवं सामाजिक असंतुलन सत्ता लोभ के कारण सुरसा की तरह मूंह खोले खड़ा हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद संविधान निर्माताओं ने समतामूलक समाज की स्थापना की कल्पना की थी। उन्होंने ने संविधान में प्रदत असीमित अधिकारों पर भी चेक एंड बैलेंस के सिद्धांत को सबसे ऊपर रखा था । ताकि सत्ता किसी भी स्थिति में निरंकुश होकर जन भावना एवं लोकतांत्रंतिक मूल्यों की हत्या न कर सके।पर विगत कुछ वर्षों में देश के अंदर हुई कुछ घटनाएं ये बताने के लिए काफी हैं कि सत्ता ने अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन कर संसद से प्राप्त असीमित शक्तियों का प्रयोग अपने स्वार्थ में करने का प्रयास किया हैं। जिसमें 2018 का एस्ट्रेसिटी एक्ट अर्थात 18/A जो सीधे सीधे नैसर्गिक न्याय की हत्या का प्रयास था । तो दूसरी ओर संसद या राज्य के सदनों द्वारा पारित बिल पर राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल द्वारा लोकहित को नजर अंदाज कर असीमित काल के लिए कुंडली मार कर बैठ जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश को गलत तरीके से परिभाषित करने का प्रयास।
आज देश को गर्व हैं कि संविधान निर्माताओं ने सम्भवतः इस विषय को पहले ही भांप लिया था और इसलिए संविधान में आर्टिकल 142 का प्रावधान किया था। किंतु दुःख का विषय हैं कि अब न्यायपालिका पर जिस तरह से स्वार्थ पूर्ति न होने पर प्रहार बार बार किया जा रहा हैं । साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से भ्रम फैलाकर राजनैतिक नैरेटिव गढ़े जा रहे हैं।इससे राष्ट्रवादी देश के युवा वर्ग को सतर्क और अपने अधिकारों के प्रति सजग रहने की जरूरत हैं। देश में आज सवर्णों के प्रति अस्पृश्यता को हथियार बनाकर आजादी के सही मायने को विकृत करने का प्रयास राजनैतिक रूप से किया जा रहा हैं। अतः आज राष्ट्र को प्रथम रखकर चिंतन करने वाली विचारधारा के साथ खड़े होने कि संकल्प लेने की आवश्यकता है।