” नेपाली क्रांति कथा- एक रिपोर्ताज’- फणीश्वरनाथ रेणु।”


फणिश्वरनाथ रेणु का रिपोर्ताज “नेपाली क्रांति कथा” एक महत्त्वपूर्ण और ऐतिहासिक दस्तावेज़ है, जो नेपाल में हुई 1950-51 की जनक्रांति (राजशाही के विरुद्ध लोकतांत्रिक क्रांति) की आंखों देखी रिपोर्ट है। इसे उन्होंने पत्रकार की भूमिका में नहीं, बल्कि एक संवेदनशील और जागरूक लेखक तथा क्रांति-सेनानी के रूप में लिखा था।
सन 1953 में यह रिपोर्ताज नई कहानियाँ पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।
रेणु केवल एक लेखक ही नहीं थे, बल्कि उन्होंने स्वयं नेपाल की लोकतांत्रिक क्रांति में सक्रिय भागीदारी की थी। वे नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र अररिया, फारबिसगंज, और विराटनगर से इस क्रांति से जुड़े और नेपाली क्रांतिकारियों के साथ मिलकर काम किया।
रेणु ने इस रिपोर्ताज़ में जो लिखा है, वह उनकी ख़ुद की आंखों देखी घटनाओं पर आधारित है। उन्होंने नेपाल के गांवों, शहरों, मोर्चों, और क्रांतिकारियों के मनोभावों को बहुत ही सजीव भाषा में चित्रित किया है।
रेणु केवल राजनीतिक घटनाओं की चर्चा नहीं करते, बल्कि आम जनता, किसानों, महिलाओं, युवाओं की भूमिका, पीड़ा और उत्साह को भी दर्शाते हैं। गांधीवादी प्रभाव और जन चेतनायुक्त इस रिपोर्ताज़ में रेणु ने यह भी बताया है कि कैसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और गांधीजी के विचारों का प्रभाव नेपाल की जनता पर पड़ा था।
‘नेपाली क्रांति कथा’केवल एक रिपोर्ताज़ नहीं है, बल्कि यह दक्षिण एशिया के दो पड़ोसी देशों के साझा इतिहास, संघर्ष और संस्कृति का दस्तावेज़ है। फणिश्वरनाथ रेणु ने इसे न केवल एक लेखक के रूप में, बल्कि एक प्रत्यक्ष क्रांतिकारी के रूप में लिखा। यह रचना हिंदी साहित्य में रिपोर्ताज़ लेखन की दिशा में एक मील का पत्थर मानी जाती है।-डो. दक्षा जोशी’निर्झरा’ अहमदाबाद गुजरात।